पर्यावरण संरक्षण में मीडिया की भूमिका

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KESHAV PATEL

Abstract

वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ से कà¥à¤› वरà¥à¤· पूरà¥à¤µ जब कभी परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ संरकà¥à¤·à¤£ की बात हमारे दिलों-दिमाग पर आती थी, तो लोगों के मन-मसà¥à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤• पर धà¥à¤µà¤¨à¤¿ पà¥à¤°à¤¦à¥‚षण, वायॠपà¥à¤°à¤¦à¥‚षण और जल पà¥à¤°à¤¦à¥‚षण की समसà¥à¤¯à¤¾ से निदान पाने की बात चलती रहती थी, लेकिन वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ वैशà¥à¤µà¤¿à¤•à¤°à¤£ के दौर में जब विकास ही अंधी दौड़ ही सभी देशों के लिठआवशà¥à¤¯à¤• हो गया है, तो परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ संरकà¥à¤·à¤£ की बात के वकà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¦à¥‚षण की समसà¥à¤¯à¤¾à¤à¤‚ बहà¥à¤¤ ही जटिल हो चà¥à¤•à¥€ है। आज हमारे सामने परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ पà¥à¤°à¤¦à¥‚षण के तौर पर गà¥à¤²à¥‹à¤¬à¤² वारà¥à¤®à¤¿à¤‚ग और पटाखों के साथ उतà¥à¤¤à¤° भारत में पराली जलाने की समसà¥à¤¯à¤¾ पà¥à¤°à¤¦à¥‚षण को बà¥à¤¾à¤µà¤¾ देने में आम हो चली है। अगर हम वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ में भारत के परिदृशà¥à¤¯ में परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ पà¥à¤°à¤¦à¥‚षण से निजात के बारे में विचार करते है, तो हमें दीपावली के वकà¥à¤¤ जलने वाले जà¥à¤µà¤²à¤¨à¤¶à¥€à¤² और खतरनाक पटाखों पर रोक के लिठसोचना आज के परिदृशà¥à¤¯ में आवशà¥à¤¯à¤• हो चला है।

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